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1-वह शक्ति हमें दो दयानिधे

वह शक्ति हमें दो दयानिधे,कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम, जग जीवन सफल बना जावें।
हम दीन दुखी निबलों विकलों के सेवक बन संताप हरे।
जो हैं अटके भूले भटके, उनको तारें खुद तर जावें।
छल दम्भ द्वेष पाखण्ड झूठ- अन्याय से निशि दिन दूर रहे।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना, सुचि प्रेम सुधारस बरसावें।
निज आन मान मर्यादा का, प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें।।

२-मगलवार-दया कर दान विद्या का, हमें परमात्मा देना

दया कर दान विद्या का, हमें परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में, शुद्धता देना ।
हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आँखों में बस जाओ,
अँधेरे दिल में आकर के, प्रभु ज्योति जगा देना ।
बहा दो प्रेम* की गंगा, दिलों में प्रेम का सागर,
हमें आपस में मिल-जुल के,प्रभु रहना सीखा देना ।
हमारा धर्म हो सेवा, हमारा कर्म हो सेवा,
सदा ईमान हो सेवा, व सेवक जन बना देना ।
वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना,
वतन पर जाँ फिदा करना, प्रभु हमको सीखा देना ।
दया कर दान विद्या का, हमें परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में, शुद्धता देना ।

3-ऐ मालिक तेरे बंदे हम

ऐ मालिक तेरे बंदे हम,
ऐसे हो हमारे करम
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकी हँसते हुये निकले दम
ये अंधेरा घना छा रहा,
तेरा इन्सान घबरा रहा
हो रहा बेख़बर, कुछ ना आता नज़र,
सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम,
तो अमावस को कर दे पूनम
बड़ा कमजोर है आदमी,
अभी लाखों हैं इस में कमी
पर तू जो खड़ा, है दयालू बड़ा,
तेरी क्रिपा से धरती थमी
दिया तूने हमें जब जनम,
तू ही झेलेगा हम सब के ग़म
जब जुल्मों का हो सामना,
तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करें, हम भलाई भरें,
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम,
और मिटे बैर का ये भरम
ऐ मालिक तेरे बंदे हम,
ऐसे हो हमारे करम
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकी हँसते हुये निकले दम

4-गुरुवार-सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
हाँ, विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
तुम्ही से है आगाज़ तुम्हीं से अंजाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
हाँ, इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
तुम्हीं से है हर सुबह तुम्ही से शाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।

५- शुक्रवार-हर देश में तू, हर भेष में तू,

हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥
सागर से उठा बादल बनके,
बादल से फटा जल हो करके ।
फिर नहर बना नदियाँ गहरी,
तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
चींटी से भी अणु-परमाणु बना,
सब जीव-जगत् का रूप लिया ।
कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना,
सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
यह दिव्य दिखाया है जिसने,
वह है गुरुदेव की पूर्ण दया ।
तुकड़या कहे कोई न और दिखा,
बस मैं अरु तू सब एकही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥

६-इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना

इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे, भूलकर भी कोई भूल हो ना
दूर अज्ञान के हो अँधेरे तू हमें ज्ञान की रौशनी दे
हर बुराई से बचके रहें हम जीतनी भी दे भली ज़िन्दगी दे
बैर हो ना किसी का किसी से, भावना मन में बदले की हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
हम न सोचें हमें क्या मिला है हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बांटें सभी को सबका जीवन ही बन जाए मधुवन
अपनी करुणा को जल तू बहा के कर दे पावन हर एक मन का कोना
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
हम अँधेरे में हैं रोशनी दे खो ना दे खुद हो ही दुश्मनी से
हम सज़ा पायें अपने किए की मौत भी हो तो सह ले ख़ुशी से
कल जो गुज़ारा है फिर से ना गुज़रे आने वाला वो कल ऐसा हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना